PM की सुरक्षा करेगा देशी नस्ल का मुधोल हाउंड, SPG में शामिल: कभी छत्रपति शिवाजी के बेटे की बचाई थी जान

प्रधानमंत्री की सुरक्षा-व्यवस्था का जिम्मा सँभालने वाले स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) के दस्ते में पहली बार एक देशी नस्ल के कुत्ते को शामिल किया गया है। इसका नाम है मुधोल हाउंड (Mudhol Hound)। इसे चार महीने की ट्रेनिंग के बाद सुरक्षा दस्ते में शामिल कर लिया जाएगा। इस नस्ल का कुत्ता अपनी तीव्रता और निष्ठा के लिए जाना जाता है।

पीएम 24 घंटे SPG के जवानों के सुरक्षा घेरे में रहते हैं। सुरक्षा दस्ते में सेना और पुलिस के जवानों के साथ-साथ प्रशिक्षित कुत्ते भी शामिल किए जाते हैं। अब मधुल को भी शामिल हो जाएँगे। मुधोल हाउंड भारतीय वायुसेना सहित भारतीय सशस्त्र बलों और कुछ अर्धसैनिक बलों में पहले ही शामिल किए जा चुके हैं।

बता दें कि SPG के अधिकारियों ने इसी साल अप्रैल में कर्नाटक के बागलकोट जिले के थिम्मापुर में स्थित ‘कैनाइन रिसर्च एंड इंफॉरमेशन सेंटर’ का दौरा किया था। अधिकारियों ने सेंटर से दो नर कुत्तों को लेकर अपने दस्ते में शामिल करने की इच्छा जताई थी।

मुधोल हाउंड की विशेषताएँ

मुधोल हाउंड अपनी विशेषताओं की वजह से भारतीय सुरक्षा बलों के लिए पसंदीदा बनता जा रहा है। इस नस्ल के कुत्ते 72 सेंटीमीटर तक बढ़ते हैं और इनका वजन 20 से 22 किलोग्राम के बीच होता है। इसके कारण इसमें गजब की फुर्ती होती है। यह मौसम के हिसाब के अपने आप को ढाल लेता है। इसके अलावा यह बहादुर होता है।

मुधोल हाउंड का इतिहास

मुधोल हाउंड कुत्तों का नाम दक्षिणी भारत के कर्नाटक में स्थित मुधोल रियासत के नाम पर रखा गया है। कहा जाता है कि मुधोल रियासत के शासकों ने कर्नाटक के बागलकोट नामक स्थान पर इन कुत्तों को पाला था।

कहा जाता है कि 1937 तक इस रियासत के शासक मालोजीराव घोरपड़े ने एक बार इस देशी नस्ल के कुत्ते की जोड़ी को ब्रिटेन के सम्राट किंग जार्ज पंचम को भेंट किया था। उस दौरान उन्होंने इस कुत्ते का नाम मुधोल हाउंड रख दिया था। तब से इसका यह नाम प्रचलित हो गया है।

शिवाजी की सेना में रहा शामिल, उनके बेटे की बचाई जान

मुधोल हाउंड कुत्तों की बहादुरी और वफादारी की कई कहानियाँ प्रचलित हैं। कहा जाता है कि आज से लगभग 300 साल पहले मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज भी इस कुत्ते को बहुत पसंद करते थे। उन्होंने अपनी सेना में इस नस्ल के कुत्तों को भी शामिल किया था।

मुधोल कुत्तों की वीरता की कई कहानियाँ महाराष्ट्र और कर्नाटक के इलाकों में प्रचलित हैं। इनमें एक यह भी यह है कि इन कुत्तों ने छत्रपति शिवाजी महाराज के बड़े बेटे संभाजी महाराज की जान बचाई थी। इसकी वजह से शिवाजी महाराज इन्हें बहुत पसंद करते थे। वे अपनी छापामार सेना में इन कुत्तों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया।

प्रधानमंत्री मोदी भी कर चुके हैं तारीफ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 मई 2018 को बागलकोट जिले के जामखंडी की एक रैली में मुधोल नस्ल के कुत्तों का जिक्र किया था। उसके बाद से यह नाम खूब सुर्खियों में आया था। उन्होंने कॉन्ग्रेस पर हमला करते हुए कहा था, “राष्ट्रवाद के नाम पर ये बीमार पड़ जाते हैं, जबकि मुधोल कुत्ते राष्ट्रवाद भरे होते हैं।”

अगस्त 2020 में अपने उन्होंने लोकप्रिय शो ‘मन की बात’ में पीएम मोदी ने कहा था कि ये कुत्ते हर आपदा में खड़े होते हैं और सेना के हर मिशन के लिए तैयार रहते हैं। उन्होंने इस भारतीय नस्ल की प्रशंसा करते हुए कहा था कि भारतीय नस्लों में मुधोल हाउंड और हिमाचली हाउंड उत्कृष्ट वंशावली के हैं। उन्होंने राजपलायम, कन्नी, चिप्पीपराई और कोम्बाई कुत्तों को भी बेहतरीन नस्ल का बताया था।

पीएम मोदी ने कहा था कि मुधोल हाउंड कुत्तों को प्रशिक्षित कर सेना, CISF और NSG के डॉग स्क्वॉयड में शामिल किया गया है। कोम्बाई कुत्तों को CRPF ने शामिल किया है। उन्होंने लोगों से अपील की थी कि वे एक भारतीय नस्ल के कुत्ता जरूर घर लाए।

सशस्त्र सेनाओं में हैं शामिल

फरवरी 2016 में पहली बार मुधोल प्रजाति के कुत्तों को प्रशिक्षित करने का काम शुरू किया गया था। इन्हें रीमाउंट वेटरीनरी कॉर्प्स ट्रेनिंग सेंटर (RVC) में 2 साल ट्रेनिंग देने के बाद सेना में शामिल कर लिया गया था। बता दें कि इस ट्रेनिंग सेंटर में पहले से ही विदेशी नस्ल के लैब्राडोर और जर्मन शेफर्ड को ट्रेनिंग दी जाती है।

इस वक्त भारतीय सेना, भारतीय वायुसेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और सीमा सुरक्षा बल (SSB) में मुधोल हाउंड की तैनाती की गई है। इसके अलावा, बाँदीपुर टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा के लिए भी मुधोल हाउंड को तैनात किया गया है।

सीनियर इंस्ट्रक्टर कर्नल जयविंदर सिंह ने कहा था कि यह कुत्ता इतना काबिल होता है कि ट्रेनर की आँखों को पढ़कर अपने टारगेट पर हमला कर देता है। मुधोल हाउंड के ट्रेनर डीके साहू ने कहा था कि शुरुआत में इन्हें 3 हफ्तों की बेसिक ट्रेनिंग दी जाती है, इसके बाद 36 सप्ताह की ट्रेनिंग होती है।

 

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