Manipur: रात में आग लगाते वक्त पहचान में दिक्कत न हो, इसलिए घरों के आगे लगा दिया ‘लाल’ निशान

Manipur: सूत्रों ने बताया, मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जंगल और जमीन की लड़ाई रही है। राज्य में धर्म को लेकर ये दोनों समुदाय, आमने-सामने नहीं आए थे। इस बार ‘धर्म’ की आड़ लेकर हिंसा हो रही है…

मणिपुर हिंसा को लेकर रोजाना नए-नए खुलासे हो रहे हैं। तीन मई से शुरू हुई हिंसा को एक सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया। इसके पीछे किन लोगों या संगठनों का हाथ है, जांच में यह पता लगाया जा रहा है। दिन में ही इंफाल घाटी में स्थित सरकारी क्वार्टर और अन्य मकानों पर ‘लाल’ निशान लगा दिया गया। यह इसलिए किया गया, ताकि रात में आग लगाने के दौरान यह पहचान करने में दिक्कत न हो कि वह मकान किस समुदाय के लोगों का है। केंद्रीय सुरक्षा बलों से जुड़े विश्वस्त सूत्रों ने बताया, ये सब बातें उस रिपोर्ट का हिस्सा है, जो केंद्र सरकार को भेजी गई हैं।

धर्म में बदली जंगल और जमीन की लड़ाई

सूत्रों ने बताया, मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जंगल और जमीन की लड़ाई रही है। राज्य में धर्म को लेकर ये दोनों समुदाय, आमने-सामने नहीं आए थे। इस बार ‘धर्म’ की आड़ लेकर हिंसा हो रही है। मणिपुर में तीन मई को मैतेई (घाटी बहुल समुदाय) और कुकी जनजाति (पहाड़ी बहुल समुदाय), इन दोनों के बीच हिंसा शुरू हुई थी। हिंसा शुरू होने के बाद पहले सप्ताह में दोनों समुदायों की जंगल और जमीन की लड़ाई को ‘धर्म’ यानी हिंदू और ईसाई पर ला दिया गया। गांवों में मंदिरों और चर्च को नुकसान पहुंचाया गया। पुराने समय के मंदिर और चर्च, हिंसा की भेंट चढ़ गए। ग्रामीण इलाकों में लोगों के घरों को नुकसान पहुंचाया गया। वहां पर उपद्रवियों को मालूम था कि कौन सा गांव कुकी या मैतेई बाहुल्य है।

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