Punjab:सरकारी दफ्तरों के समय में बदलाव से रोज बचेगी 250 मेगावाट बिजली, अप्रैल में ठंड से बढ़ी बैंकिंग

250 Megawatt electricity will be saved daily by changing time of government offices in Punjab

पंजाब में सरकारी दफ्तरों का समय बदला।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी।

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पंजाब में मंगलवार से सरकारी दफ्तरों का समय सुबह साढ़े सात बजे से दोपहर दो बजे तक हो गया है। इस बदलाव से पावरकॉम रोज 250 मेगावाट तक बिजली की बचत कर सकेगा। वहीं अप्रैल में इस बार मौसम ठंडा रहने से भी धान सीजन में बिजली की मांग पूरा करने में आसानी रहेगी। इस समय बैंकिंग सिस्टम के तहत पावरकॉम दूसरे राज्यों के पास बिजली जमा कर रहा है, जिसे जून और जुलाई में वापस लिया जाएगा।

पावरकॉम की ओर से तैयार रिपोर्ट में इस बार जून से लेकर सितंबर के दौरान बिजली की 1237 से लेकर 2012 मेगावाट तक कमी रहने का अनुमान लगाया गया था। अब सरकार की ओर से दफ्तरों के समय में तबदीली के फैसले और अप्रैल में ठंडे मौसम ने पावरकॉम की मुश्किलें आसान कर दी हैं।

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पंजाब में यह पहली बार है कि बिजली की बचत के लिए सरकारी दफ्तरों का समय बदला गया है। पावरकॉम अधिकारियों के मुताबिक दोपहर दो से लेकर शाम पांच बजे तक पीक लोड के घंटे होते हैं। इस दौरान अगर सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे, तो रोज 250 मेगावाट तक बिजली की बचत की जा सकेगी। चुनावों के चलते बढ़ी मांग के मद्देनजर पंजाब की तरफ से कर्नाटक को 1000 मेगावाट तक बिजली बैंकिंग में दी जा रही है। पावरकाम अधिकारियों के मुताबिक कर्नाटक समेत अन्य राज्यों से धान सीजन में 3000 मेगावाट तक बिजली वापस ली जा सकेगी। पावरकॉम को अपने थर्मलों व हाइडलों से 6400 मेगावाट, सेंट्रल पूल से 4500 मेगावाट बिजली प्राप्त हो जाएगी। वहीं, जरूरत पड़ने पर पावर एक्सचेंज से खरीद की जाएगी। ऐसे में इस बार किसी तरह से पावरकॉम  धान सीजन में बिजली की मांग को पूरा कर पाने में सक्षम रहेगा।

जून से सितंबर तक 2012 मेगावाट तक कमी रहने का था अनुमान

पावरकॉम की ओर से तैयार रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि जून से लेकर सितंबर महीने के दौरान पावरकॉम को बिजली की कमी का सामना करना पड़ सकता है। धान और भीषण गर्मी के कारण जून में बिजली की पीक मांग 15353 मेगावाट रहने का अनुमान था। इसकी तुलना में पावरकॉम के पास सभी स्रोतों से बिजली की उपलब्धता 13629 मेगावाट रहेगी। इस हिसाब से जून में 1724 मेगावाट, जुलाई में 15641 की पीक डिमांड के मुकाबले उपलब्धता 13629 रहने से बिजली की कमी सबसे ज्यादा 2012 मेगावाट रहने का अनुमान था। इसी तरह से अगस्त में 1237 मेगावाट और सितंबर में 1491 मेगावाट तक बिजली की कमी रहने का अनुमान था।

हर बार मौसम पर नहीं रह सकते निर्भर, सरकारी क्षेत्र में बढ़ाया जाए उत्पादन : एसोसिएशन

पीएसईबी इंजीनियर्स एसोसिएशन के महासचिव इंजीनियर अजय पाल सिंह अटवाल का कहना है कि इस बार तो मौसम और अब दफ्तरों के समय में बदलाव ने धान सीजन में बढ़ी मांग को पूरा करना पावरकॉम के लिए आसान कर दिया। परंतु हर बार मौसम पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है। जरूरत है कि सरकारी क्षेत्र में बिजली उत्पादन को बढ़ाया जाए। इसके लिए बठिंडा में 250 मेगावाट का सोलर प्लांट और रोपड़ में 800 मेगावाट का सुपर क्रिटिकल प्लांट लगाया जाए।

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