माइनर हार्ट अटैक, फर्स्ट हार्ट अटैक औऱ मेजर हार्ट अटैक में अंतर है-डॉ. गुरभेज सिंह हृदय रोग विशेषज्ञ

क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज लुधियाना अस्पताल में कार्डियोलॉजी. विभाग के वरिष्ठ डॉ. गुरभेज सिंह एमबीबीएस, एमडी, डीएम हृदय रोग विशेषज्ञ.ने बतायाहार्ट अटैक आज के समय में काफी आम सी समस्या हो गई है. पहले ये 50 से 60 साल के उम्र के लोगों को होती थी लेकिन अब युवा भी इसकी चपेट में आने लगे हैं 25 से 30 साल के लोगों में भी हार्ट अटैक (Heart Attack)की समस्या देखी जा रही है. इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे गलत खान-पान लाइफस्टाइल फिजिकल एक्टिविटी की कमी. दिल का दौरा एक ऐसी स्थिति है जिसमें आम तौर पर हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाले धमनी पूरी तरह से अवरुद्ध होने के कारण अचानक खून की सप्लाई बंद कर देती है इसे हृदय की मांसपेशियों की कोशिकाएं मर जाती है.पहले ऐसा कहा जाता था कि हार्ट अटैक तीन बार आता है.फर्स्ट अटैक उतना जानलेवा नहीं रहता है लेकिन दूसरा और तीसरे अटैक में जान का खतरा बना रहता है, जाने हैं इस बारे में
माइनर हार्ट अटैक क्या है?

माइनर हार्ट अटैक यानी के माइल्ड हार्ट अटैक को मेडिकल भाषा में non-st एलिवेशन मायोकार्डिया इंफार्क्शन ( NSTEMI) . इसमें हृदय की कोरोनरी धमनियों में से किसी एक में आंशिक रूप से रुकावट का कारण बन सकता है. इससे हृदय में रक्त का प्रभाव कम हो जाता है ऐसे अवस्था में हृदय को नुकसान पहुंचता है और पूरे शरीर में रक्त पंप करने की हृदय की क्षमता को बाधित कर सकता है. माइनर अटैक में दिल का केवल छोटा सा हिस्सा ही प्रभावित होता है जो हृदय को स्थाई तौर पर नुकसान नहीं पहुंचाता. फिर भी दिल का दौरा छोटा हो या बड़ा गंभीर रूप ले सकता है

मेजर हार्ट अटैक क्या है?

हमारे दिल की अलग-अलग मांसपेशियों तक खून पहुंचाने का काम धमनियां करती हैं. इन धमनियों में जब किसी कारण से खून की गति बाधित होने लगती है तो ऐसे में दिल की उन मांसपेशियों को पंप करने के लिए खून नहीं मिल पाता और मांसपेशियां डैमेज होने लगती है. अगर यह धमनियां पूरी तरह से ब्लॉक हो जाती है तो इसे मेजर हार्ट अटैक कहा जाता है, जिससे मरीज की जान भी जा सकती है. डॉक्टर्स के मुताबिक हार्ट पंपिंग रेट ( Heart Pumping Rate) 45 फीसदी से ऊपर होता है तो इसे माइल्ड हार्ट अटैक के रूप में माना जाता है लेकिन जब यह 45% से कम होता है तो इसे मेजर हार्टअटैक माना जाता है.

हार्ट अटैक का कारण

1.स्मोकिंग

2.बढ़ती उम्र

3.डायबिटीज

4.किडनी की खराबी

5.हाई ब्लड प्रेशर

6.उच्च कोलेस्ट्रॉल

7.मोटापा

8.सैचुरेटेड और ट्रांस फैट युक्त आहार का सेवन

9.शराब का सेवन

हार्ट अटैक के लक्षण

हार्ट अटैक का सबसे पहला लक्षण है सीने में दर्द होना है जिससे angina pain कहते हैं.ऐसे में प्रेशर हेवीनेस और टाइटनेस जैसा महसूस होने लगता है. जो सिर्फ बाएं तरफ नहीं होता बल्कि बीच में ये दाएं तरफ भी होता है. यह दर्द पेट के ऊपर की तरफ जाता है. कभी बाएं हाथ या कंधे की तरफ जाता है. कई बार जबड़े या दांत में भी दर्द हो सकता है. ऐसे में कुछ लोगों को सांस की तकलीफ और पसीना भी आता है. इसके साथ ही कुछ लोगों को गैस होने की फीलिंग आती है. बिना कारण बहुत अधिक थकान लगना जी मिचलाना और उल्टी हो जाना भी हार्ट अटैक से पहले दिखने वाले लक्षण हो सकते हैं.

हार्ट अटैक आए तो क्या करें?

एस्पिरिन खिलाएं: मरीज को तुरंत एस्पिरिन चबाने को कहे या निगल सके तो निकलवा दें. एस्पिरिन रक्त में थक्का जमने से रोकती है और ब्लड को पतला कराकर सरकुलेशन को सुधार देती है.

सीपीआर दें: अगर मरीज बेहोश है तो उसे सीपीआर देना शुरू करें ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन को यह सामान्य बनाने में बहुत मददगार होती है. मरीज की छाती के केंद्र पर दूर और तेजी से धक्का दे 1 मिनट में लगभग 100 से 120 बार ऐसा करें.

नाइट्रोग्लिसरीन खाएं: अगर आपके डॉक्टर ने नाइट्रोग्लिसरीन लेने के लिए कहा है तो ऐसी स्थिति में तुरंत इसका इस्तेमाल करें. अगर आपको लगता है कि आप को दिल का दौरा पड़ रहा है और आपके डॉक्टर ने आपको इसे लेने के लिए कहा है तो इमरजेंसी मेडिकल आने तक इसे आदेश अनुसार लें

डॉ. गुरभेज सिंह
एमबीबीएस, एमडी, डीएम विभाग के प्रमुख हृदय रोग विशेषज्ञ
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज लुधियाना

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