क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज लुधियाना विभाग कार्डियोलॉजी के प्रमुख डॉ गुरभेज सिंह. एमडी, डीएम कार्डियोलॉजी ने कहा हृदय का बायां और दायां भाग एकसमान रूप से कार्य करता है। दिल के दाहिने हिस्से को ऑक्सीजन रहित रक्त प्राप्त होता है, जिसे फेफड़ों में भेजा जाता है तथा दिल का बायां भाग ऑक्सीजन युक्त रक्त को फेफड़ों से प्राप्त करता है और इसे शरीर के विभिन्न हिस्सों में पंप करता है।
दिल का दायां भाग – Right side of the heart
मानव शरीर में उपस्थित अशुद्ध रक्त (ऑक्सीजन रहित रक्त), शरीर की सबसे बड़ी शिरा के माध्यम से दायें एट्रियम (atrium) या दायें अलिंद में प्रवेश करता है। वह शिरा जिसके माध्यम से अशुद्ध रक्त ह्रदय के दायें अलिंद में प्रवेश करता है, उसे सुपीरियर और इन्फीरियर वेना कावा (superior and inferior vena cava) के नाम से जाना जाता है।
इसके बाद दायां आलिंद सिकुड़ता है और रक्त को दाएं निलय में धकेलता है। दाएं निलय के रक्त से भरने के बाद पल्मोनरी वाल्व खुलता है। जिसके कारण अशुद्ध रक्त पल्मोनरी धमनी (pulmonary artery) से होता हुआ फेफड़ों तक पहुँचता है। यहाँ रक्त ऑक्सीजन ग्रहण करता है और कार्बन डाइऑक्साइड को छोड़ता है।
दिल का बायां भाग – left side of the heart
फेफड़ों से शुद्ध रक्त या ऑक्सीजन युक्त रक्त पल्मोनरी शिरा (pulmonary vein) के माध्यम से दिल के बाएं हिस्से में उपस्थित बाएं आलिंद (left atrium) में प्रवेश करता है। इसके पश्चात बाएं आलिंद के सिकुड़ने से रक्त बाएं निलय में जाता है। जब बायां निलय रक्त से पूरी तरह से भर जाता है, तब महाधमनी (aorta) के माध्यम से शुद्ध रक्त को वापस शरीर में भेज दिया जाता है।
Dr Gurbhej Singh.
MD,DM Cardiology (SCTIMST) Fellowship Inerventional cardiology.
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