लुधियाना गैस कांड।
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लुधियाना के ग्यासपुरा में जहरीली गैस रिसाव मामले की जांच के लिए सरकार ने पंजाब पुलिस के पांच सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया। वहीं, हादसे में परिवार के तीन लोगों को गंवाने वाले गौरव गोयल व अन्य लोगों ने आरोप लगाया कि साल भर से घरेलू सीवरेज लाइन में उद्योगों का केमिकल अपशिष्ट डाला जा रहा था। कई बार शिकायत भी की लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने सरकार से इस पूरे मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
लुधियाना के पुलिस कमिश्नर मंदीप सिद्धू ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि घरेलू सीवरेज लाइनों में उद्योगों का केमिकल अपशिष्ट पहले भी डाला जाता रहा है। इसके बारे में पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के कर्मचारियों को भी पता है। हम जांच कर रहे हैं। अगर कहीं, पीपीसीबी के कर्मचारियों की गलती सामने आई या फिर उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। नोडल एजेंसी के पास पूरा डाटा है। 11 लोगों की मौत के जिम्मेदार लोगों को किसी भी हाल में बक्शा नहीं जाएगा। उनके परिवारों को इंसाफ दिलाया जाएगा।
मंदीप सिद्धू घटना के दूसरे दिन डिप्टी कमिश्नर सुरभि मलिक के साथ इलाके का दौरा करने पहुंचे थे। जांच के लिए सीसीटीवी कैमरे खंगाले जा रहे हैं। यह घटना रविवार को हुई थी। इसमें एक परिवार के पांच सदस्यों समेत 11 लोगों की मौत हो गई थी।
डीसीपी हुंदल के नेतृत्व में एसआईटी
एसआईटी के प्रमुख डीसीपी हरमीत हुंदल होंगे। इसमें एडीसीपी-2 सुहेल मीर, एडीसीपी-4 तुषार गुप्ता, एसीपी साउथ और थाना साहनेवाल के एसएचओ इंद्रजीत सिंह बोपाराय भी शामिल होंगे। टीम जल्द ही पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट देगी। इसके बाद जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी, चाहे वो कोई भी हो।
पीड़ित बोले- प्रशासन की ढील की वजह से ही हुआ हादसा
ग्यासपुरा निवासी गौरव गोयल ने आरोप लगाया कि जांच के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। प्रशासन की ढील की वजह से ही यह हादसा हुआ है। घटना में अधिकारियों व इंडस्ट्री के लोगों को बचाने की कोशिश की जा रही है। यहां साल भर इंडस्ट्री का केमिकल वेस्ट घरेलू सीवरेज लाइन में डाला जा रहा था, जो गैस रिसाव का कारण बना।
रविवार को भी केमिकल डाला गया था। इस बारे में कई बार शिकायत दी गई है, न तो पीपीसीबी और न ही नगर निगम ने कोई कार्रवाई की। उन्होंने कहा दो दिन बाद भी प्रशासन ने मृतक के पारिवारिक सदस्यों से मिलकर दुख दर्द जानने की कोशिश नहीं की। उनके भाई का एक बेटा बचा है। प्रशासन को उसकी पढ़ाई-लिखाई का खर्च उठाना चाहिए।