सिर की चोट (Head Injury)
सिर के किसी भी हिस्से खोपड़ी, मस्तिष्क या अन्य जगह पर चोट लगने की स्थिति को सिर की चोट कहा जाता है। सिर में लगी चोट अगर गंभीर नहीं है, तो इससे सिर में नील पड़ना या सूजन आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं अगर सिर में गंभीर रूप से चोट लगी है, तो इससे मस्तिष्क की अंदरूनी संरचना, तंत्रिकाएं या रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और इस कारण से कई जिलताएं भी हो सकती हैं। सिर में गंभीर चोट लगने से मानसिक क्षमता प्रभावित होना, अपंगता और यहां तक मृत्यु जैसी जटिलताएं भी हो सकती हैं। सिर की चोट का इलाज उसके प्रकार और गंभीरता के अनुसार किया जाता है। गंभीर मामलों में अगर सिर की चोट लगने के कारण खोपड़ी की हड्डी टूट गई है या फिर खून आ रहा है, तो यह एक आपातकालीन स्थिति है, जिसका जल्द से जल्द इलाज शुरू करना जरूरी होता है।
सिर की चोट के प्रकार
सिर में चोट लगने की गंभीरता के अनुसार उसे दो अलग-अलग प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है, जो निम्न हैं –
ओपन हेड इंजरी – जब सिर की चोट के कारण खोपड़ी की हड्डी टूट जाती है, चोट का कारण बनने वाली वस्तु मस्तिष्क तक पहुंच जाती है तो इसे ओपन हेड इंजरी कहा जाता है।
क्लोज्ड हेड इंजरी – सिर की चोट के इस प्रकार में खोपड़ी की हड्डी में किसी प्रकार की क्षति नहीं होती है। हालांकि, इस दौरान मस्तिष्क की संरचनाएं प्रभावित जैसे रक्त वाहिकाएं, तंत्रिकाएं व अन्य ऊतक क्षतिग्रस्त हो सकते हैं और मस्तिष्क के अंदर रक्तस्राव भी हो सकता है।
सिर की चोट के लक्षण
लक्षण सिर में चोट लगने के तुरंत बाद या फिर कुछ समय बाद धीरे-धीरे विकसित होते हैं, जो आमतौर पर सिर की चोट की गंभीरता पर निर्भर करता है। कई बार सिर में चोट लगने से खोपड़ी के ऊपर किसी प्रकार का निशान नहीं दिखता है, जबकि अंदर मस्तिष्क में नील पड़ सकता है। अगर सिर में लगी चोट गंभीर नहीं है, तो इससे आमतौर पर निम्न लक्षण विकसित हो सकते हैं –
सिर दर्द
उल्टी आना
नींद आना
व्यवहार में बदलाव होना
हालांकि, अगर सिर में गंभीर चोट लगी है तो इससे निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं –
आंखों की पुतलियों का आकार एक समान न रहना
नाक या कान से खून आना
याददाश्त भूलना
दौरे पड़ना
शरीर का कोई हिस्सा हिला न पाना
पूरी तरह से होश में न होना या बेहोश हो जाना
डॉक्टर को कब दिखाएं?
अगर सिर में थोड़ी बहुत चोट लगी है और व्यक्ति की हालत सही है तो हो सकता है आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत न पड़े। हालांकि, अगर आपके आसपास किसी को सिर में गंभीर चोट लगी है, तो यह एक आपातकालीन स्थिति है और ऐसे में जल्द से जल्द डॉक्टर के पास चले जाना चाहिए।
सिर की चोट के कारण
सिर में चोट आमतौर पर निम्न स्थितियों के कारण लग सकती है –
खेलते या काम करते समय किसी प्रकार की दुर्घटना होने के कारण चोट लगना।
किसी ऊंचाई या सीढ़ियों से फिसल कर गिरना
किसी प्रकार की लड़ाई-झगड़े में लगने वाली चोट
सिर की चोट लगने पर निम्न स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है –
खोपड़ी की हड्डी में फ्रैक्चर – कई बार सिर में गंभीर चोट लगने के कारण सिर की हड्डी टूट सकती है, जिसके कारण मस्तिष्क की संरचना भी क्षतिग्रस्त हो सकती है।
सिर की त्वचा में घाव बनना – अगर कोई नुकीली चीज से सिर में चोट लगी है, तो ऐसे में सिर की त्वचा (स्कैल्प) क्षतिग्रस्त हो सकती है और ऐसी स्थितियों में संक्रमण होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
कंकशन – यह सिर में चोट लगने के कारण मस्तिष्क को होने वाली गंभीर क्षति है, जिससे प्रभावित होकर मस्तिष्क सामान्य रूप से काम भी नहीं कर पाता है। ऐसा सिर्फ सिर में चोट लगने के कारण ही नहीं व्यक्ति का सिर बलपूर्वक तेजी से हिलने के कारण भी हो सकता है।
रक्तस्राव होना – सिर में चोट लगने के कारण मस्तिष्क में किसी प्रकार की चोट आ सकती है और संरचना की कोई सतह क्षतिग्रस्त होने के कारण मस्तिष्क में रक्तस्राव भी हो सकता है। ऐसा खोपड़ी की हड्डी के टूटे बिना भी हो सकता है।
सिर की चोट का निदान
सिर की चोट का निदान करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है, हालांकि, इसकी गंभीरता का पता लगाने के लिए कुछ अन्य जांच की जा सकती हैं। अगर सिर में गंभीर चोट लगी है, तो मस्तिष्क में हुई क्षति का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ इमेजिंग स्कैन कराने की सलाह दे सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं –
एक्स रे – इसकी मदद से खोपड़ी की हड्डी में फ्रैक्चर का पता लगाया जाता है और साथ ही यह पता भी लगाया जा सकता है कि कहीं हड्डी का कोई टुकड़ा मस्तिष्क में तो नहीं गया है।
सीटी स्कैन – इसकी मदद से मस्तिष्क की संरचना की जांच की जाती है और उसमें किसी प्रकार की रक्त के थक्के या अन्य किसी संरचनात्मक क्षति का पता लगाया जाता है।
एमआरआई – इस इमेजिंग स्कैन की मदद से खोपड़ी की हड्डी में हुई क्षति की गंभीरता का पता लगाया जा सकता है।
सिर की चोट की रोकथाम
छोटे बच्चों का खेल में ध्यान होने और उनके शरारत करने के कारण उन्हें सिर की चोट लगने का खतरा सबसे अधिक रहता है। हाालंकि, उनके माता-पिता निम्न बातों का ध्यान रखकर बच्चों को सिर में चोट लगने से बचा सकते हैं, जैसे –
बच्चों को साइकिल चलाते समय हेलमेट या कोई मजबूत टोपी पहनने को कहें
बच्चों को सीढ़ियों, ऊंचाई वाले स्थानों और चिकनी सतहों पर खेलने न दें
छोटे बच्चों और शिशुओं को सोफे या बैड आदि पर अकेला न छोड़ें
फर्श पर पानी आदि को तुरंत साफ कर दें और बच्चों को बाथरूम या किचन के आसपास न खेलने दें
हालांकि, निम्न बातों का ध्यान रखकर वयस्कों मे भी यह समस्या होने के खतरे को कम किया जा सकता है –
शराब पीकर गाड़ी न चलाएं और न ही कोई अन्य मशीन ऑपरेट करें
गाड़ी चलाते समय सीट बेल्ट और बाइक चलाते समय हेलमेट का इस्तेमाल करें
खेलते या काम करते समय सुरक्षा के सभी उपकरणों का इस्तेमाल करें
सिर की चोट का इलाज
अगर सिर में थोड़ी बहुत चोट लगी है, तो इस दौरान डॉक्टर आमतौर पर कुछ दर्द निवारक व सूजन रोधी दवाएं दे देते हैं। हालांकि, इस दौरान भी मरीज को कुछ समय के लिए निगरानी में रखा जाता है, क्योंकि कई बार कुछ समय बाद भी इससे जटिलताएं विकसित हो सकती हैं। हालांकि, अगर मस्तिष्क में गंभीर चोट लगी है, तो ऐसी स्थितियों का इलाज जल्द से जल्द शुरू करना जरूरी होता है। सिर में गंभीर चोट लगने पर इसका इलाज निम्न तरीके से किया जा सकता है –
सीडेशन – इस दौरान कुछ शामक दवाएं दी जा सकती हैं, जिनकी मदद से मस्तिष्क में हो रहे दर्द से राहत मिल जाती है और तंत्रिका प्रणाली भी शांत हो जाती है।
ब्रीथिंग सपोर्ट – सिर में गंभीर चोट लगने के कारण कुछ लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है और ऐसे में मरीज को वेंटिलेशन सपोर्ट दी जा सकती है ताकि उसे पर्याप्त रूप से ऑक्सीजन मिल सके।
न्यूरोसर्जरी – अगर सिर में चोट लगने के कारण मस्तिष्क में मौजूद न्यूरोन्स प्रभावित हो गए हैं, तो ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए न्यूरोसर्जरी करनी पड़ सकती है।
क्रैनियोटॉमी – यह भी एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसकी मदद से कुछ समय के लिए क्रेनियम को निकाल दिया जाता है, ताकि मस्तिष्क के अंदरूनी हिस्सों का इलाज किया जा सके और अगर मस्तिष्क में खोपड़ी ही हड्डी चली गई है तो उसे निकाला जा सके।
सिर की चोट की जटिलताएं
अगर सिर में गंभीर चोट नहीं है, तो इसस आमतौर पर कोई गंभीर जटिलता नहीं होती है। हालांकि अगर मस्तिष्क में गंभीर चोट लगी है, तो इससे निम्न जटिलताएं विकसित हो सकती हैं –
मस्तिष्क क्षतिग्रस्त होना
मस्तिष्क में संक्रमण
पोस्ट-कंकशन सिंड्रोम