किडनी (गुर्दा) हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंग है। यह गुर्दे फली के आकार के दो अंग हैं जो शरीर के रक्त को छानने का काम करते हैं। आम तौर पर किडनीयां पेट के पीछे स्थित होती हैं। गुर्दे आपके रक्त को साफ करने और कचरे (अमोनिया, यूरिक एसिड, यूरिया, क्रिएटिन, और क्रिएटिनिन) से छुटकारा पाने में मदद करते हैं। इसके अलावा शरीर के तरल पदार्थों को संतुलन में रखने में भी किडनीयां मदद करती हैं।डॉ. राजन इसाक्स, एमडी, डीएम (नेफ्रो। (एम्स) के अनुसार, किडनी के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं: जो किडनी के संरचना और कार्य के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं:
किडनी की संरचना:
किडनी शरीर के मूत्र तंत्र का हिस्सा हैं। यह आपके रक्त को साफ करने और कचरे से छुटकारा पाने में मदद करती हैं.
आमतौर पर किडनीयां पेट के पीछे स्थित होती हैं।
गुर्दे आपके रक्त को साफ करने और कचरे से छुटकारा पाने में मदद करते हैं।
किडनी के कार्य:
खून का शुद्धीकरण: किडनी निरंतर कार्यरत रहकर शरीर में बनते अनावश्यक जहरीले पदार्थों को पेशाब द्वारा बाहर निकालती है।
अपशिष्ट उत्पादों को निकालना: गुर्दे शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को हटाकर रक्त की शुद्धि करती हैं।
किडनी की सेहत को बनाए रखने के लिए आपको स्वस्थ जीवनशैली अपनानी चाहिए। यह शामिल करता है: पर्याप्त पानी पीना, स्व
किडनी के रोगों से कैसे बचें?
किडनी रोग से बचने के लिए यहां कुछ महत्वपूर्ण टिप्स हैं:
पर्याप्त पानी पीना: अपने शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए रोजाना पानी पीना महत्वपूर्ण है।
स्वस्थ आहार: अपने आहार में स्वस्थ खाद्य पदार्थ शामिल करें, जैसे कि फल, सब्जियां, अनाज, और प्रोटीन।
नमक का सेवन सीमित करें: अत्यधिक नमक का सेवन करने से किडनी को नुकसान हो सकता है।
धूम्रपान और अत्यधिक शराब के सेवन से बचें: ये दोनों किडनी के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
नियमित व्यायाम करें: योग और व्यायाम करने से शरीर की स्वस्थता बनी रहती है।
तनाव का प्रबंधन करें: तनाव किडनी के लिए हानिकारक हो सकता है।
रक्तचाप को नियंत्रित करें: उच्च रक्तचाप किडनी के लिए खतरनाक हो सकता है।
ब्लड शुगर के स्तर को मॉनिटर करें: डायबिटीज किडनी के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम हो सकता है।
यह टिप्स आपकी किडनी को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं
किडनी के रोगों के लक्षण
किडनी संबंधी समस्याओं से जुड़े कुछ आम लक्षण, जिनमें निम्न शामिल हो सकते हैं:
सूजन: आंखों, हाथों और पैरों में सूजन होना।
हाई ब्लड प्रेशर: रक्तचाप बढ़ जाना।
सांस फूलना: त्वचा में लगातार खुजली महसूस होना।
मुंह का स्वाद बिगड़ना: अच्छे से नहीं चख पाना।
मुंह से बदबू आना: अपशिष्ट द्रव के अधिक जमाव से।
शरीर का वजन कम होना: अपशिष्ट द्रव के अधिक जमाव से।
किडनी खराब होने की बीमारी के बारे में जल्दी लोगों को पता नहीं चल पाता है। क्रोनिक (पुरानी) किडनी रोग वाले केवल 10% लोगों को ही उनकी बीमारी की जानकारी होती है।
अक्सर किडनी फेल होने पर लोगों को इस बीमारी की जानकारी मिल पाती है। किडनी खराब होने के लक्षण है:
अधिक थकावट महसूस करना
किडनी खराब होने के लक्षण में थकावट महसूस हो सकती है।
व्यक्ति को हर समय कमजोरी भी महसूस करता है। इस कारण से उसे ध्यान केंद्रित करने में समस्या हो सकती है।
गुर्दे या किडनी की बीमारी की अधिक बढ़ जाने के कारण एनीमिया हो सकता है। एनिमिया थकान और कमजोरी का कारण बन सकता है।
त्वचा में सूखापन और खुजली
किडनी शरीर से अपशिष्ट (बेकार) और तरल पदार्थों को बाहर निकालती है। यह रक्त में खनिज (मिनिरल) की सही मात्रा को बनाए रखने में मदद करती है।
यदि रक्त में खनिज संतुलन ठीक नहीं रहता है, तो किडनी खराब होने के लक्षण में सूखी त्वचा और खुजली की समस्या पैदा हो जाती है।
ठीक से नींद ना आना: किडनी खराब होने के लक्षण में नींद न आना भी शामिल है।
किडनी खराब होने से छानने की प्रक्रिया ठीक प्रकार से नहीं हो पाती है।
शरीर में अपशिष्ट पदार्थ इकट्ठा होते रहते हैं और यूरिन के माध्यम से बाहर नहीं निकल पाते हैं। इस कारण से व्यक्ति को नींद आने में समस्या महसूस होती है।
बार-बार पेशाब लगना – किडनी खराब होने पर व्यक्ति को बार-बार पेशाब आ सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किडनी के फिल्टर (गुर्दे की छलनी) खराब हो जाता है।
किडनी खराब होने के लक्षण में ये भी शामिल है।
पेशाब से खून आना – जब किडनी खराब हो जाती है तो फिल्टर की प्रक्रिया ठीक से नहीं हो पाती है। इस कारण से पेशाब में रक्त (खून) कोशिकाओं का रिसाव शुरू हो जाता है।
मूत्र त्यागने के दौरान रक्त भी आता है।
पेशाब से झाग आना – मूत्र में अत्यधिक बुलबुले या झाग भी किडनी खराब होने के लक्षण में शामिल है। अत्यधिक झाग मूत्र में प्रोटीन का संकेत देता है।
आंखों के आसपास सूजन – जब किडनी के फिल्टर खराब हो जाते हैं तो मूत्र में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है। शरीर में प्रोटीन कम होने लगती है।
इस कारण से किडनी खराब होने के लक्षण में आंखों के आसपास सूजन भी आ सकती है।
पैरों और टखनों में सूजन – खाने में सोडियम(नमक) का अधिक इस्तेमाल शरीर के विभिन्न भागों में द्रव का निर्माण करता है।
सोडियम प्रतिधारण (अधिक नमक का सेवन) के कारण पैरों और टखनों में सूजन हो सकती है।
भूख न लगना – किडनी खराब होने के लक्षण में भूख न लगना भी शामिल है। ऐसा किडनी के कम काम करने के कारण होता है।
शरीर में अपशिष्ट (बेकार) पदार्थ बढ़ते हैं और व्यक्ति को भूख नहीं लगती है।
मांसपेशिययों में ऐंठन – मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या भी किडनी खराब होने का संकेत दे सकते हैं।
ऐसा इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन का परिणाम हो सकता है।
मांसपेशियों में ऐंठन इसलिए होती है क्योंकि किडनी खराब होने से कम कैल्शियम स्तर और खराब नियंत्रित फास्फोरस मांसपेशियों में समस्या पैदा कर सकते हैं।
किडनी खराब होने के क्या लक्षण है, इस जानकारी के बाद किडनी की बीमारी के विभिन्न चरणों के बारे में समझते हैं
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किडनी की बीमारी के कारण
किडनी खराब होने के लक्षण किसी व्यक्ति को जल्द दिख सकते हैं वहीं कुछ लोगों को आखिरी चरण में नजर आते हैं। इसके एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं।
अन्य बीमारी
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग – किडनी में गांठ बनने की समस्या को पॉलीसिस्टिक किडनी रोग कहते हैं। इस समस्या के कारण भी किडनी खराब होने लगती है।
ग्लोमेरुलर रोग – यह एक स्थिति है, जिसमें किडनी का भाग (ग्लोमेरुली) खराब होता है। इस कारण से भी किडनी खराब होने की समस्या होती है।
दिल से संबंधी बीमारियां – यदि व्यक्ति को दिल की बीमारी है तो किडनी की बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है।
यकृत की बीमारियां – लिवर या यकृत की बीमारी का इलाज न कराने पर भी किडनी की कार्यक्षमता पर बुरा असर पड़ता है।
खराब जीवनशैली
निर्जलीकरण – कम पानी पीने वाले व्यक्तियों में भी किडनी खराब होने का अधिक खतरा होता है।
अधिक धूम्रपान – जब ज्यादा धूम्रपान किया जाता है तो बुरा असर किडनी पर भी पड़ता है।
दर्द निवारक दवा लेना – लंबे समय तक दर्द निवारक दवाएं किडनी पर बुरा असर डालती हैं।
अधिक नमक युक्त भोजन – खाने में अधिक सोडियम किडनी खराब होने का कारण बन सकता है।
अन्य जोखिम कारक
किडनी खराब होने की समस्या का सामना किसी भी व्यक्ति को करना पड़ सकता है। जिन व्यक्तियों को निम्नलिखित समस्याएं होती हैं, उनमें किडनी खराब होने की संभावना अधिक होती है।
मधुमेह – रक्त में शर्करा की मात्रा नियंत्रित न होने से किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जिन लोगों को डायबिटीज या मधुमेह होती है उन लोगों की किडनीको खतरा रहता है।[१]
उच्च रक्तचाप – जब व्यक्ति का रक्तचाप बढ़ता है तो किडनीपर बुरा प्रभाव पड़ता है।[१]
हृदय रोग – किसी कारण से हृदय का ठीक से काम न कर पाना किडनी के कार्यभार को बढ़ाता है।
किडनी की बीमारी का पारिवारिक इतिहास – यदि परिवार में पहले से किसी को किडनी की बीमारी है तो व्यक्ति में किडनी की बीमारी की संभावना बढ़ जाती है।
अधिक उम्र – ६० साल से अधिक उम्र के बाद किडनी संबंधी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।
किडनी फेल होने के लक्षणों का प्रतिबंधन
जब किडनी खराब होने की समस्या हो जाती है तो इलाज से पहले कारण का पता लगाया जाता है। क्रॉनिक (पुरानी) किडनी की बीमारी का इलाज लंबे समय तक चल सकता है।
दवाइयों
किडनी खराब होने पर डॉक्टर मूत्रवर्धक दवाइयां देते हैं।
कुछ दवाएं जैसे कि एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर (एआरबी) दवाइयां,स्टैटिन, एरिथ्रोपोइटिन-उत्तेजक एजेंट आदि लेने की सलाह दी जा सकती है।
डॉक्टर की सलाह के बाद ही दवाइयों का सेवन करना चाहिए।
डायलिसिस – जब किडनी काम करना बंद कर देती है तो डायलिसिस की मदद ली जाती है।
डायलिसिस की प्रक्रिया की मदद से शरीर के रक्त को फिल्टर करने में मदद मिलती है।
पेरिटोनियल डायलिसिस के दौरान पेट की ऊपरी परत की मदद से म एक कैथेटर डाली जाती है। पेरिटोनियल डायलिसिस घर में भी प्राप्त किया जा सकता है।
हेमोडायलिसिस के अंतर्गत नियमित रूप से रक्त को साफ किया जाता है। सप्ताह में तीन से चार दिन हेमोडायलिसिस की प्रक्रिया की जाती है।
किडनी ट्रांसप्लांट
एक स्वस्थ्य किडनी की मदद से किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया पूरी की जाती है।
किडनी प्रत्यारोपण के दौरान एक सर्जन क्षतिग्रस्त किडनी को हटाकर स्वस्थ्य किडनी लगाते हैं।
स्वस्थ्य किडनी जीवित या मृत दाता से मिलती है।
उपचार में देरी होने पर खतरा
किडनी खराब होने के लक्षण दिखने पर भी यदि इलाज न कराया जाए तो किडनी पूरी तरह से खराब हो सकती है।
गुर्दे की क्षति का बढ़ना – गुर्दे की बीमारी के इलाज में देरी से स्थिति और खराब हो सकती है। यह किडनी को और अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।
क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) या किडनी विफलता जैसी जटिलताओं को जन्म दे सकता है।
हृदय संबंधी समस्याओं का बढ़ा जोखिम – गुर्दे की बीमारी हृदय रोगों के बढ़ते जोखिम से निकटता से जुड़ी हुई है।
उपचार में देरी करने से गुर्दे की बीमारी बढ़ने में योगदान हो सकता है। जिसके परिणामस्वरूप उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, स्ट्रोक और अन्य हृदय संबंधी जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है।
सीमित उपचार विकल्प – प्रारंभिक पहचान और समय पर हस्तक्षेप गुर्दे की बीमारी को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए अधिक उपचार विकल्प प्रदान करते हैं।
समग्र स्वास्थ्य पर प्रभाव – गुर्दे की बीमारी समग्र स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर सकती है।
उपचार में देरी करने से थकान, कमजोरी, भूख न लगना और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई जैसे लक्षण हो सकते हैं।
डॉक्टर से कब सलाह लें
शरीर में किसी प्रकार के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी हो जाता है।
अगर कुछ दिनों से उल्टी, थकान या फिर मांसपेशियों में ऐंठन महसूस हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर सलाह लेनी चाहिए।
यदि व्यक्ति को मधुमेह की बीमारी है तो नियमित डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों को भी डॉक्टर से समय-समय पर परामर्श करना चाहिए।
निष्कर्ष
किडनी खराब होने की समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। किडनी खराब होने के लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो बड़ी समस्या से बचा जा सकता है।
सभी व्यक्तियों को शुरुआती चरण में किडनी खराब होने के लक्षण महसूस नहीं होते हैं। अगर इससे संबंधित अधिक जानकारी चाहिए तो आप दीपक किडनी केयर सेंटरके विशेषज्ञ डॉक्टर निसंकोच जानकारी ले सकते हैं। आप बीमारी से संबंधित सवालों का जवाब पाकर मन की शंका को दूर कर सकते हैं।
Dr. RAJAN ISAACS
MD, DM (Nephro.) (AIIMS)
Sr. Consultant Nephrologist Associate Professor CMCH
DEEPAK KIDNEY CARE CENTRE
POSITIVE ABOUT LIFE
UNIT OF DEEPAK HOSPITAL
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